Top 5 Ganesh Ji Ki Kahani in Hindi | गणेश जी की कहानी

इस पोस्ट का विषय है – Ganesh ji ki Kahani। हमारे देश में गणेश जी महाराज की अनेक लोक कथा-कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से कई कहानियां हमने अपनी दादी-नानी से सुनी हैं। व्रत करते समय हमें गणेश जी की कहानी अवश्य सुननी चाहिए।

जिसे सुनने और पढ़ने से हमारा व्रत पूर्ण होता है और हमें व्रत का फल प्राप्त होता है। इस पोस्ट में गणेश जी की पांच प्रसिद्ध कहानिओं का उल्लेख है, जिन्हें श्रद्धा से सुनने से मनुष्य का मंगल होता है।

Ganesh Ji Ki Kahani in Hindi

विषय-Ganesh Ji Ki Kahani
भाषा-हिन्दी
कहानियों की संख्या-पांच

एक बार गणेश जी महाराज ने पृथ्वी के लोगों की परीक्षा लेने के लिए एक छोटे बालक के रूप में पृथ्वी की यात्रा की। वह एक हाथ में एक चम्मच दूध और दूसरे हाथ में मुट्ठी भर चावल लिए घूम रहा था,यह बोलते हुए कि “यह चावल और दूध लेकर कोई मेरे लिए खीर बना दो”।

यह कहते हुए वे गांव-गांव में घूमने लगे लेकिन कोई गणेश जी की इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। सभी हंसते हुए बोलने लगे – “मूर्ख लड़का! क्या एक चम्मच दूध और एक मुट्ठी चावल से खीर बनाया जा सकता है?”इस तरह गणेश जी महाराज गांव-गांव घूमे लेकिन कोई भी उनके खीर बनाने के लिए राजी नहीं हुआ।

सुबह से शाम होने लगा, तभी एक बूढ़ी मां अपने घर के बाहर बैठी थी। उसने गणेश जी को देखा और कहा “बेटा अपना खीर बनाने की सामग्री मुझे दो मैं तुम्हारे लिए खीर बना देती हूं”। बूढ़ी मां की बात सुनकर गणेश जी ने कहा “खीर बनाने के लिए अपने घर का सबसे बड़ा बरतन ले आओ”।

बुढ़ि मां छोटे बच्चे का मन रखने के लिए घर का सबसे बड़ा बरतन लेकर आया। गणेश जी बरतन में दूध और चुटकी भर चावल डालने लगे। यह देखकर बूढ़ी मां के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। बूढ़ी माँ के घर के सारे बरतन दूध और चावल से भर गए।

गणेश महाराज ने बूढ़ी माई से कहा “मैं स्नान कर कर आता हूं। तुम तब तक खीर बना लो, मैं आकर खीर खाऊंगा”। बुढ़ि माँ बोली, “बेटे मैं इतना खीर का क्या करूं?” तब गणेश जी ने कहा कि “माता आप पूरे गांव को खीर खाने के लिए आमंत्रित कर दो”

बुढ़ि माँ खुशी से कहती है “ठीक है बेटा मैं ऐसा ही करती हूं”। बुढ़ि माँ मन लगाकर बहुत अच्छे से खीर बनाने लगी। खीर की मीठी सुगंध धीरे-धीरे गांव में फैलने लगी, खीर बनाने के बाद वह गांव के घर-घर जाकर लोगों को खीर खाने के लिए आमंत्रित करने लगी। यह देख कर गांव के कुछ लोग बुढ़िया की बातें सुनकर हंसने लगे।

कुछ लोग सोच रहे थे- इतने दिनों से भीख मांगकर जीवन यापन करने वाली बुढ़िया आज पूरे गांव को खीर खाने के लिए कैसे बुला सकती है। उनमें से एक महिला कहती है “तुम्हारे घर में खाने के लिए मुट्ठी भर अन्न नहीं है, तुम पूरे गांव को खीर खाने के लिए बुला रही हो”

यह सुनकर बुढ़ि माँ थोड़ा हंस कर वहां से चली गई। गांव के लोग उत्सुकता से बूढ़ी मां के घर आ गए। बूढ़ी मां के घर पर पूरे गांव के लोगों का भीड़ लग जाती है। जब बूढ़ी मां की बहू को इस दावत का पता चला। बे जल्दी से अपने बेटे और बेटी को लेकर सबसे पहले बूढ़ी मां के घर आ गया। 

अपने पोते-पोतियों को देखकर बूढ़ी मां अत्यंत खुश हुए उनके आंखों में आंसू आ गया। बच्चे सब खीर खाने के लिए जिद करने लगे। यह देखकर बूढ़ी मां अपने पोते पोतियो को खीर पड़ोस कर बाहर बैठ गई। बहु जब रसोई घर में जाकर खीर से भरी हुई पतीला को देखती है उनके मुंह में पानी आ जाता है।

 अपने लालच को नियंत्रित करने में असमर्थ, बहु एक कटोरी में खीर लेकर दरवाजे के पीछे चला गया। वह खाना शुरू करने से पहले बोला- “गणेश जी भगवान भोग लगाना”। इतने में थोड़ा खीर नीचे गिर गया और गणेश जी को भूख लग गया, गणेश जी प्रसन्न हो गए।

बूढ़ी मां छोटे बच्चे को आता देख कर कहने लगी “बेटा खीर तैयार है आकार भोग लगा ले”गणेश जी ने कहा “तेरी बहू जब मेरा नाम लेकर भोग लगाया तभी मेरा पेट भर गया था, मैं तो तृप्त हो गया हूं”

अब तुम खाओ, अपने परिवार और पूरे गांव को खाना खिलाओ। बुढ़िया कहती है बेटा खीर बहुत ज्यादा है, सबका पेट भरने के बाद भी बहुत खीर बच जाएगा, फिर मैं उस बचे हुए खीर का क्या करूंगी। मां बचा हुआ खीर तुम अपने घर के चारों कोनों में रख देना। 

यह कहकर गणेश जी महाराज अंतर्ध्यान हो गए। जब सारा गाँव भरपेट खीर खा चुका होता है तब भी बहुत सी खीर बची रहती है। बूढ़ी मां बचे हुए खीर को पतीला में रखकर अपने घर के चारों कोने में रख देती है।

 जब बूढ़ी मां  सुबह उठकर खीर के पतीला को देखती है तो पाती है कि पतीला में दूध की जगह सोना, जवाहरात और मोती भरी हुई है। बूढ़ी मां यह देखकर कहती है एक समय मेरे बेटे ने मुझे घर से निकाल दिया था। मैं भीख मांग कर गुजारा करती थी।

 लेकिन अब मैं बहुत खुश हूं, मेरी सारी गरीबी दूर हो गई। अब मुझे कोई दुख नहीं है, मैं चैन से जी सकता हूं। हे गणेशजी महाराज जैसा आप मुझे दिया है, वैसा ही सबको देना।

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Ganesh Ji Ki Kahani (2) in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक बहन और एक भाई रहते थे। बहन हर रोज अपने भाई का चेहरा देखकर ही खाना खाती थी। बहन रोज सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम करके जल्दी से अपने भाई को देखने के लिए निकल जाती थी।

रास्ते में एक पीपल के पेड़ के नीचे गणेश जी की मूर्ति थी, जहां वे नित्य हाथ जोड़ कर कहती थी “भगवान मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको देना”। रास्ते में जाते हुए जंगल का कांटा उसके पैर में चुभ जाता था। 

एक दिन बहन ने अपने भाई का चेहरा देखा और बैठ गई। भाभी जी ने उससे पूछा कि बाई जी तुम्हारे पैरों मे क्या हुआ है? बहन ने कहा रास्ते में आने के वक्त जंगलों का कांटा पैर में चुभ गया है। यह कहकर बहन अपने घर चली गई। 

भाभी ने अपने पति से कहा रास्ता साफ कर दीजिए रास्ते से आने के वक्त आपकी बहन को पैरों में कांटा चुभ जाती है। तुम्हारी बहन पीड़ित है। भाई ने कुल्हाड़ी लेकर सड़क से झारिया, जंगल और पेड़ पौधे काट दिए। जिससे रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया।

पेड़ों की सफाई के कारण गणेश जी की मूर्ति अपने स्थान से हट गई, जिससे भगवान क्रोधित हो गए और उनकी प्राण हर लिए। जब गांव के लोग भाई को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे तभी भाभी ने रोते हुए कहा, तुम थोड़ी देर रुक जाओ। उनकी बहन हर रोज भाई का चेहरा देखती है।

लोगों ने कहा आज तो देख लेगा लेकिन कल से क्या देखेगा? बहन रोज की तरह अपने भाई का चेहरा देखने के लिए सड़क से आती है। सड़क से आते हुए बहन ने देखा सड़क एकदम से साफ हो गया है। पेड़, पौधे, जंगल सब काट कटे हुए हैं। 

थोड़ा और आगे जाते हुए देखती है कि गणेश जी की  स्थान भी हटी हुई है। यह देखकर वे जल्दी से खेजड़ी की डाल लेकर गणेश जी की स्थान पुनः प्रतिष्ठा की। और हमेशा की तरह हाथ जोड़ कर कहने लगी –  “भगवान मेरे जैसा अमर सुहाग और मेरे जैसा अमर पीहर सबको देना”

भगवान गणेश ने उनकी बातें सुनीं और सोचा कि अगर मैं आज इसकी नहीं सुनी तो इस दुनिया में कोई भी हमें नहीं मानेगा, कोई हमारी पूजा नहीं करेगा। भगवान गणेश कहते हैं कि बेटी खेजड़ी  के ये सात पत्ते ले जाओ और इन्हें कच्चे दूध में मिलाकर अपने भाई के शरीर पर छिटे मार देना और वह उठ जाएगा।

जब बहन ने पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था, तो उसने सोचा कि जैसा सुना वैसा ही कर लेति हूं। वह खेजड़ी के सात पन्ने लेकर घर गया और देखा कि वहाँ लोगों की भीड़ लगी हुई है।

बे घर जाकर देखा उसकी भाई का शरीर रखा हुआ है, उसकी भाभी रो रही थी। जैसे कि वह गणेश जी से सुना था वैसे ही उसने कच्चे दूध में खेजड़ी के 7 पत्ते मिलाकर अपने भाई की शरीर में छिटक दिया और उसकी भाई जाग उठा। भाई उठ कर कहा आज मुझे गहरी नींद आई। बहन ने कहा ऐसी नींद कोई शत्रु को भी ना आए और उसके भाई को सारी घटना बताएं। गणेश जी महाराज की जय।

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Ganesh Ji Ki Kahani (3) in Hindi

एक बार की बात है, एक गाँव में एक लड़की अपनी माँ के साथ रहती थी। एक दिन लड़की ने अपनी माँ से जिद की “गाँव में गणेश मेला लगा है सब लोग देखने जा रहे हैं मुझे भी जाना है“। माँ ने यह सुन कर कहा कि मेले में बहुत भीड़ होती है, तुम गिर पड़ोगे तुम्हें चोट लग जा सकती है। 

लेकिन लड़की ने अपनी मां की बात नहीं मानी और मेले में जाने की जिद करने लगी। लड़की की जीत देखकर उसकी माँ ने उसे मेले में जाने की अनुमति दे दी। और कहा “गुस्सा छोड़ दो मेले में अपना ख्याल रखना”।

जब लड़की मेले में जा रही थी तो माता ने उसे दो लड्डू और एक घंटी में पानी देकर कहा कि “एक लड्डू और थोड़ा सा पानी भगवान गणेश जी को देना और एक लड्डू और बचा हुआ पानी तुम खा लेना”।

लड़की लड्डू और पानी लेकर मेला देखने गयी धीरे धीरे शाम हो गयी लेकिन लड़की फिर भी घर नहीं लौटी। लड़की मेले में गणेश जी की मूर्ति के पास जाकर बैठ जाती है और कहती है कि “एक लड्डू और थोड़ा पानी आपके लिए और एक लड्डू और बचा हुआ पानी मेरे लिए”। 

अब आप जल्दी से अपने एक लड्डू और थोड़ा पानी खा लीजिए, ताकि मैं अपना लड्डू और बचा हुआ पानी खा सकूं। यह कहकर लड़की पूरी रात वहीं गुजार देती है।

यह देखकर भगवान ने सोचा कि यदि मैं यह लड्डू और जल नहीं खाऊंगा तो यहां से कन्या घर नहीं जाएगी। तो भगवान गणेश जी ने एक लड़के के रूप में वहां आए और लड़की के एक लड्डू और थोड़ा पानी खा लिया।

खाने के बाद भगवान गणेश जी ने कहा “तुम्हें जो चाहिए वह मांग लो”। लड़की ने यह सुनकर सोचने लगी, “मुझे क्या मांगना चाहिए? मैं अन्न मांगू या धन मांगू या खेत मांग लूं या महल मांगू, या मैं अपने लिए एक वर मांग लूं “। भगवान समझ गए कि लड़की क्या सोच रही है और कहा “लड़की तुम अपने घर चली जाओ तुमने मन में जो जो सोचा था वह सभी तुम्हें मिल जाएगा”।

फिर लड़की वहां से अपने घर चली गई. घर पहुंचते ही मां ने पूछा, “इतनी देर कैसे हुई? तुम कहां खो गई थी?”। लड़की कहती है माँ मैंने ठीक वैसा ही किया जैसा आपने कहा था मैंने एक लड्डू और थोड़ा पानी गणेशजी को दिया और एक लड्डू और बचा हुआ पानी मैंने खा लिया। जैसे ही लड़की ने यह सब कहा उसकी वह सारी इच्छाएं पूरी हो गईं जो उसने उस समय सोची थीं।

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Ganesh Ji Ki Kahani (4) in Hindi

एक बार की बात है, एक गाँव में एक बुढ़िया अपने परिवार के साथ रहती थी। बूढ़ी मां भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। वह सदैव श्रद्धा के साथ एकादशी व्रत का पालन करता और कथा सुनता था। लेकिन बूढ़ी मां ने व्रत करते समय ना कभी गणेश जी की कथा सुनी थी ना कभी बोली थी।

इस कारण बूढ़ी मां की व्रत अधूरा ही रह गया। लेकिन बूढ़ी मां को यह बात पता नहीं था। बूढ़ी मां सोचती थी वह संपूर्ण व्रत पालन कर चुका है इस व्रत पालन के पुण्य परिणाम स्वरूप, उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति मिलेगी।

जब बूढ़ी मां मर गई तब उसे लेने के लिए यमलोक से यमदूत आया यह देखकर बूढ़ी मां बहुत डर गई। वह कहा मैंने तो जीवन भर सिर्फ भगवान विष्णु का पूजा किया। श्रद्धा के साथ एकादशी व्रत का पालन किया, एकादशी व्रत की कथा सुनी और ग्यारस माता की कथा सुनी।

इसी पुण्य के फलस्वरूप मुझे ले जाने के लिए बैकुंठ लोक से विमान आना चाहिए। मैं तुम्हारे साथ नहीं जाना चाहता। यह कहकर बूढ़ी मां रोने लगी और वह भगवान विष्णु का स्मरण करने लगी। भगवान विष्णु गरुड़ में सवार होकर वहां प्रकट हुई और कहा। 

बूढ़ी मां आपने हमेशा एकादशी का व्रत श्रद्धा के साथ आदरपूर्वक किया है लेकिन आपने व्रत करते समय गणेश जी की कथा नहीं सुनी, इसलिए आप का व्रत अधूरा ही रह गया। बूढ़ी मां भगवान विष्णु से जीवनदान मांगी ताकि वह एकादशी व्रत का ठीक से पालन कर सके और गणेश जी की कथा सुन सके। जिससे वह एकादशी व्रत का संपूर्ण पुण्य प्राप्त कर सके। यह बात सुनकर विष्णु भगवान ने बूढ़ी माता को 2 साल के लिए जीवन दान दी।

बूढ़ी माई को जीवन दान मिलते ही वे श्रद्धा से गणेश जी की पूजा करने लगीं। एकादशी व्रत कि कथा सुनने लगी,  ग्यारस माता की कथा सुनने लगी और अंत में गणेश जी को कथा सुनने लगी।  

इस तरह उन्होंने दो साल के अंदर 4 ग्यारस पूरा कर लिए। गणेश जी की कृपा से बूढ़ी माता को एकादशी व्रत का पूरा पुण्य मिल गया। बूढ़ी मां की सच्ची भक्ति देखकर भगवान गणेश जी प्रसन्न हुए और कहा कि तुमने नित नियम के साथ व्रत में मेरी कथा सुनी है और श्रद्धा के साथ आदरपूर्वक मेरी पूजा की है, मैं इससे बहुत खुश हूं।

मैं आपको आशीर्वाद देता हूं कि जब तक यह संसार रहेगा, तब तक पृथ्वी  के निवासी आपके तपस्या की गीत गाएंगे और जो भक्त एकादशी व्रत पर आपकी भक्ति को सुनेंगे, उन्हें व्रत का पूरा फल मिलेगा।

गणेश जी महाराज बूढ़ी मां की भक्ति से प्रसन्न होकर बूढ़ी मां के घर को अन्न-धन से भर दिया और सुख समृद्धि वास करने लगी। गणेश जी महाराज वहां से अंतर्ध्यान हो गए। दो वर्ष बाद जब बूढ़ी माता का देहांत हुआ तो बैकुंठ लोक से विमान आया और बूढ़ी  माता को सम्मान के साथ बैकुंठ लोक ले जाया गया। भगवान गणेश के आशीर्वाद से बूढ़ी माता का घर अन्न-धन से भर गया और उन्हें बैकुंठ लोक की प्राप्त हुई।

हे भगवान गणेश, जिस तरह आपने बूढ़ी मां पर अपनी कृपा बरसाई है, उसी तरह एकादशी व्रत का पालन करने वाले सभी भक्तों को आप आशीर्वाद दीजिए और उनकी घर को सुख समृद्धि से भर दीजिए।

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Ganesh Ji Ki Kahani (5) in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक गरीब अंधी बुढ़िया अपने बेटे और बहू के साथ रहती थी। बुरिमा गणेश जी की बहुत बड़ी भक्त थी वह प्रतिदिन श्रद्धा के साथ गणेश जी की पूजा करती थी, भोग लगाती थी उसके बाद ही अपना भजन ग्रहण करती थी। 

गणेश जी उसकी भक्ति और श्रद्धा से बहुत प्रसन्न होकर बूढ़ी मां के पास प्रकट होकर कहा बूढ़ी मां तुम रोज मेरी पूजा करती हो मुझे भोग लगाती हो इससे मैं बहुत प्रसन्न हूं। 

तुम तुम्हारी इच्छा अनुसार जो चाहिए वह मांग लो, मैं तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी करूंगा। बूढ़ी मां ने कहा “मैं क्या मांगू? मुझे तो कुछ मांगना नहीं आता” गणेश जी कहते हैं जो चाहिए वह मांग लो या तुम अपने बहू बेटे से पूछ कर मुझे कल बताना मैं कल फिर आऊंगा।

ये बातें सुनकर बुढ़िया अपने बेटे के पास गई और बोली कि आज गणेश जी प्रकट हुए थे और यह कह कर गया है कि मैं जो चाहूं उनसे मांग सकती हूं। बता, मुझे क्या मांगनी चाहिए, बेटा कहता है, तुम गणेश जी से धन मांग लो। 

तब बुढ़ि मां अपनी बहू के पास जाती है और कहती है कि गणेश जी ने आज मुझसे कहा है कि मैं जो चाहूं उनसे मांग सकती हूं। मुझे क्या मांगनी चाहिए बताओ, बहू कहती है कि तुम गणेश जी से पोता पोती मांग लो।

बूढ़ी माँ अपने बेटे और बहू की बात सुनती है और सोचती है कि हर कोई अपनी मतलब की बात ही मुझे कह रही है कोई मेरे लिए नहीं सोच रहा। तब बूढ़ी मां पड़ोसन के पास जाकर कहती है “मुझे गणेश जी ने जो चाहिए वह मांगने को बोला है, बताओ मैं क्या मांगू? मेरे बेटे ने मुझे पैसा धन दौलत मांगने को कहा और मेरी बहू ने मुझे पोते मांगने को कहा है”।

बूढ़ी मां की बात सुनकर पड़ोसन ने कहा, “ओ बूढ़ी मां तू अधिक दिन जीवित नहीं रहेगी तू धन दौलत का करेगी क्या, तुम अपने लिए आंखों का रोशनी मांग ले इससे जीवन अच्छी से व्यतीत कर सकती है”।

बूढ़ी मां ने सबकी बात सुनी और अगले दिन गणेश जी की पूजा करने बैठ गई, गणेश जी को भोग लगाया । तभी वहां गणेश जी प्रकट हुए और बोले “बोलो गुड़िया तुम्हें क्या चाहिए”। बुढ़िया कहती है कि “अगर आप मेरी भक्ति से प्रसन्न हो तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, मेरी आंखों में रोशनी दें, पोता दें, और मेरे पूरे परिवार को सुख दें और अंत में मुझे मोक्ष दें।

गणेशजी बोले “बुढ़िया, तुने ये मांगकर मुझे ठग दिया, लेकिन जैसा कि मैंने कहा, मैं  तेरी सभी इच्छाओं को पूरा करूंगी”। इतना कहकर गणेश महाराज वहां से अंतर्धान हो गए। बुढ़िया को वह सब कुछ मिल गया जो वह चाहती थी। हे गणेशजी महाराज, जैसा आपने उस बूढ़ी माता को दिया, वैसा ही हमें देना। गणेशजी महाराज की जय।

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अगर कहानी में कुछ भूल त्रुटि हो जाए तो क्षमा कर दीजिएगा। आप सभी को Ganesh ji ki Kahani पढ़ने के लिए तहे दिल से धन्यवाद। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो आपकी फैमिली के साथ अवश्य शेयर करें। बोलो गणेश जी महाराज की जय.

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